नई दिल्ली/रायपुर। रायपुर सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने मंगलवार को संसद भवन में आयोजित प्राक्कल (अनुमान) समिति की बैठक में “वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-I” (VVP-I) की गहन समीक्षा करते हुए एक महत्वपूर्ण समीक्षा नोट प्रस्तुत किया। बैठक में गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम की प्रगति पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सीमावर्ती गांवों का सर्वांगीण विकास, बुनियादी सुविधाओं का सशक्तिकरण और स्थानीय नागरिकों के जीवन स्तर में वास्तविक सुधार सुनिश्चित करने के लिए वाइब्रेंट विलेजेज़ कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में यह पहल सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध सीमावर्ती भारत के संकल्प को सशक्त आधार प्रदान करती है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 15 फरवरी 2023 को उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों के व्यापक विकास के लिए इस योजना को स्वीकृति दी थी। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती गांवों से हो रहे पलायन को रोकना, जीवन स्तर में सुधार लाना और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करना है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक के लिए इस कार्यक्रम का कुल परिव्यय ₹4800 करोड़ है, जिसमें से ₹2500 करोड़ सड़क संपर्क के लिए निर्धारित किए गए हैं। प्राथमिकता के आधार पर अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख के 662 सीमावर्ती गांवों को इस योजना में शामिल किया गया है।
समीक्षा के दौरान समिति ने केवल आधारभूत ढांचे के निर्माण तक सीमित न रहते हुए ‘परिणाम-आधारित निगरानी (Outcome- based Monitoring)’ को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। सांसद अग्रवाल ने कहा कि योजनाओं की सफलता का मूल्यांकन खर्च की गई राशि या परियोजनाओं की संख्या से नहीं, बल्कि इस बात से होना चाहिए कि क्या वास्तव में पलायन रुका है और स्थानीय परिवारों की आय में वृद्धि हुई है।
बैठक में बताया गया कि गृह मंत्रालय द्वारा ₹379.21 करोड़ की लागत से 844 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिनमें सामुदायिक भवन और पर्यटन से जुड़ी सुविधाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न मंत्रालयों के अभिसरण के माध्यम से ₹618.05 करोड़ की 1389 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। सड़क संपर्क सुदृढ़ करने हेतु अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में ₹2420.89 करोड़ की लागत से 113 सड़कें और 8 बड़े पुल स्वीकृत किए गए हैं।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने ‘सतत आजीविका’ को कार्यक्रम की आत्मा बताते हुए क्षेत्र-विशिष्ट आजीविका क्लस्टर विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इको-टूरिज्म, औषधीय पौधों की खेती, स्थानीय हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देकर युवाओं को उनके गांवों में ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है।
डिजिटल कनेक्टिविटी पर जोर देते हुए समिति ने दिसंबर 2025 तक सभी 662 सीमावर्ती गांवों में 100% 4G कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में 434 गांवों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है। साथ ही, दूरस्थ क्षेत्रों में स्थापित ऑफ-ग्रिड बिजली प्रणालियों के प्रभावी रखरखाव के लिए एक समर्पित तंत्र विकसित करने का भी सुझाव दिया गया।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम सीमावर्ती भारत को केवल सुरक्षित ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, और इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संसद के माध्यम से निरंतर निगरानी और सुझाव दिए जाते रहेंगे।




