CG News : नक्सलवाद की पकड़ ढीली पड़ रही है, जंगलों में शांति लौट रही है, लेकिन बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत अब भी दयनीय है। जिले के जगरगुंडा से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने पूरे प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एंबुलेंस उपलब्ध न होने पर मजबूर ग्रामीणों को एक मृतक के शव को खाट पर लेकर कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।

सूत्रों के मुताबिक ग्रामीणों ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस की मांग की, लेकिन जवाब मिला—
“अभी छुट्टी है… एंबुलेंस नहीं मिलेगी।”
यह कथित जवाब सुनकर गांव के लोग हतप्रभ रह गए और अंततः शव को खाट पर रखकर गांव की ओर रवाना होना पड़ा।
ग्रामीणों का आरोप है कि सीएमएचओ का फोन भी नहीं उठाया गया, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं। स्थानीय लोगों ने इसे स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही और असंवेदनशीलता बताते हुए कड़ी नाराज़गी जताई है।
नक्सलवाद खत्म हो रहा, लेकिन अव्यवस्थाओं से कैसे लड़े ग्रामीण?
क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति सुधरने के बीच यह सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है कि क्या विकास और व्यवस्था वाकई जमीनी स्तर पर पहुंच रही है?
नक्सल हिंसा भले कम हो रही हो, लेकिन अस्पतालों की लापरवाही, एंबुलेंस संकट और अधिकारियों की गैर–जवाबदेही जैसी समस्याएँ अभी भी ग्रामीणों को परेशान कर रही हैं।
क्या होगी कार्रवाई?
इस घटना के बाद लोगों का गुस्सा प्रशासन पर साफ झलक रहा है।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि—
घटना की तत्काल जांच हो,
दोषी कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए,
एंबुलेंस सेवाओं को 24×7 अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए।
ऐसी शर्मसार करने वाली तस्वीरें विकास की असलियत पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं
क्या बस्तर में माओवाद का अंत हो जाएगा, लेकिन अव्यवस्थाओं का अंत कौन करेगा?




