नयी दिल्ली. कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच पर मंगलवार को एक बार फिर हितों के टकराव का आरोप लगाया और दावा किया कि उन्होंने एक ऐसी कंपनी को अपनी संपत्ति पर किराये पर दी जो इस नियामक संस्था की जांच के दायरे में है.
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि देश में ‘एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट’ सक्रिय है जिसके मूल में अदाणी समूह, प्रमुख नियामक संस्थाएं तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच की ‘खतरनाक सांठगांठ’ है.
मुख्य विपक्षी दल का आरोप है कि बुच ने अपनी संपत्ति ‘इंडियाबुल्स’ समूह से जुड़े एक व्यक्ति से संबंधित कंपनी को किराये पर दे दी, जबकि यह कंपनी सेबी की जांच के दायरे में थी.
आरोपों पर बुच या अदाणी समूह की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. कांग्रेस की तरफ से पहले लगाए गए आरोपों को बुच और अदाणी समूह ने खारिज किया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”नरेन्द्र मोदी जी, आप अपने द्वारा नियुक्त अध्यक्ष के अधीन सेबी में पैदा हुई समस्या को छिपा नहीं सकते. आपने वर्षों की मेहनत से बनाई गई भारत के बाजार नियामक सेबी की पवित्रता को नष्ट कर दिया है, जिससे करोड़ों छोटे और मध्यम निवेशकों की बचत खतरे में पड़ गई है.” उन्होंने दावा किया कि यह इस बात को भी उजागर करता है कि प्रधानमंत्री ने अपने ”प्रिय मित्र” अदाणी के लिए एकाधिकार कैसे बनाया. खरगे ने कहा कि इस सिंडिकेट के हर पहलू की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की आवश्यकता है.
राहुल गांधी ने ‘यूट्यूब’ पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा, ”भारत के संस्थागत ढांचे में ‘एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट’ उदय के साथ खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. इस सिंडिकेट के मूल में अदाणी, प्रमुख नियामक संस्थाओं और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के बीच एक खतरनाक सांठगांठ है.” उन्होंने आरोप लगाया कि अदाणी डिफेंस वेबसाइट से पता चलता है कि कैसे कंपनी केवल विदेश निर्मित हथियारों की रीब्रांडिंग करके मुनाफा कमाती है, जबकि युवा सैनिकों और उनके परिवारों के प्रशिक्षण, पेंशन और कल्याण के लिए जरूरी राशि को ‘अग्निपथ’ जैसी योजनाओं के माध्यम से हटा दिया जाता है.
गांधी ने दावा किया, ”यह विश्वासघात राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करता है और हमारे युवाओं के भविष्य को खतरे में डालता है.” कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले पर प्रधानमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”प्रधानमंत्री पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं. वह ऐसा शायद बुच के अदाणी समूह के साथ संबंध के कारण कर रहे हैं.” रमेश का यह भी कहना था ”सेबी करोड़ों परिवारों के हितों का संरक्षक है. लेकिन खुद संरक्षक से क्या बचाव है? देश स्पष्ट जवाब चाहता है, टालमटोल और चुप्पी नहीं.”
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से बातचीत में यह आरोप भी लगाया कि बुच ‘प्रेडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड’ से भी जुड़ी हुई हैं और इसमें उनकी इक्विटी है तथा सेबी की पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद भी उन्होंने कंपनी में शेयर रखना जारी रखा है.
खेड़ा का दावा है कि प्रेडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करने वाली कंपनी ‘जेसेसा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड’ का नाम ‘पैराडाइज पेपर्स’ मामले में आया था. उन्होंने सवाल किया, ”माधवी पुरी बुच ने इंडियाबुल्स से जुड़ी एक कंपनी को अपनी संपत्ति किराये पर क्यों दी, जो न केवल सेबी द्वारा विनियमित है बल्कि विभिन्न मामलों में सेबी की जांच के दायरे में भी है? बुच ने ‘पैराडाइज पेपर्स’ से सम्बंधित एक विवादित इकाई में शेयर क्यों रखे?”