गरियाबंद। CG NEWS: बाल विवाह की सूचना मिलते ही चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, समर्पित संस्था एवं पुलिस की संयुक्त टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक नाबालिग बालक का विवाह रुकवाने में सफलता प्राप्त की। यह कार्रवाई जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय के निर्देश एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी अनिल द्विवेदी के मार्गदर्शन में की गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना पाण्डुका अंतर्गत ग्राम पंचायत धुरसा में 26 दिसम्बर 2025 को एक नाबालिग बालक का विवाह आयोजित किए जाने की सूचना दूरभाष के माध्यम से प्राप्त हुई थी। सूचना की गंभीरता को देखते हुए चाइल्डलाइन 1098 गरियाबंद की सुपरवाइजर अहिल्या ठाकुर, शिव आधार साहू, समर्पित संस्था से जिला समन्वयक रामा जावलकर, सामाजिक कार्यकर्ता नंदनी, आवा संस्था से जिला चाइल्ड राइट एसोसिएट मोहम्मद शारिब एवं पाण्डुका पुलिस की संयुक्त टीम तत्काल मौके पर पहुँची।
टीम द्वारा बालक एवं उसके परिजनों से पूछताछ कर आवश्यक दस्तावेजों के आधार पर आयु का सत्यापन किया गया। स्कूल दाखिल-खारिज अभिलेखों के अनुसार बालक की आयु 17 वर्ष 11 माह 12 दिन पाई गई, जबकि उसी दिन उसका विवाह प्रस्तावित था। यह स्थिति बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन पाई गई।
टीम ने परिजनों और उपस्थित ग्रामीणों को अधिनियम की जानकारी देते हुए बताया कि कानून के अनुसार विवाह के लिए बालिका की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं बालक की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित है। अधिनियम का उल्लंघन करने पर विवाह कराने, सहयोग करने या आयोजन में शामिल व्यक्तियों को दो वर्ष तक का कठोर कारावास, एक लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
समर्पित संस्था, आवा संस्था एवं चाइल्डलाइन टीम द्वारा बाल विवाह के दुष्परिणामों—शिक्षा में बाधा, स्वास्थ्य समस्याएँ, कुपोषण, सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव—के संबंध में विस्तार से समझाईश दी गई। समझाईश के बाद परिजनों एवं ग्रामीणों ने सहमति व्यक्त करते हुए बालक का विवाह 21 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद ही कराने का आश्वासन दिया।
टीम ने ग्रामीणों से अपील की कि बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जिसे रोकना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। निर्धारित आयु सीमा का पालन करने से बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आत्मनिर्भरता एवं बेहतर भविष्य की संभावनाएँ बढ़ती हैं। इसी क्रम में जिले में बाल विवाह की रोकथाम, कुपोषण उन्मूलन एवं बाल संरक्षण को लेकर निरंतर जागरूकता अभियान संचालित किए जा रहे हैं।




