पेरिस ओलंपिक भाला फेंक फाइनल पर बोले नीरज चोपड़ा वह दिन नदीम का था

पेरिस ओलंपिक भाला फेंक फाइनल पर बोले नीरज चोपड़ा वह दिन नदीम का था पेरिस ओलंपिक भाला फेंक फाइनल पर बोले नीरज चोपड़ा वह दिन नदीम का था

लखनऊ. पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने से चूकने वाले भारत के भाला फेंक स्टार नीरज चोपड़ा ने कहा कि उनके प्रदर्शन में कोई कमी नहीं थी लेकिन वह दिन पाकिस्तान के अरशद नदीम का था जो उन्हें पछाड़कर चैम्पियन बने . चोपड़ा ने आठ अगस्त को हुए फाइनल में 89 . 45 मीटर भाला फेंक कर रजत पदक जीता लेकिन नदीम ने नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए पहले ही प्रयास में 92 . 97 मीटर का थ्रो फेंककर स्वर्ण पदक जीता . तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले चोपड़ा लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड खिलाड़ी बने .

चोपड़ा ने यहां पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा ,” कुछ भी गलत नहीं था, सब कुछ सही था. थ्रो भी अच्छा था. ओलंपिक में रजत प्राप्त करना भी कोई छोटी चीज. नहीं है, लेकिन, मुझे लगता है कि प्रतियोगिता बहुत अच्छी थी और स्वर्ण पदक उसी ने जीता है जिसका वह दिन था . वह नदीम का दिन था .ह्व यहां फीनिक्स पलासियो मॉल में अंडर आर्मर के नए प्रारूप वाले ब्रांड हाउस स्टोर का उद्घाटन करने आये चोपड़ा ने इस धारणा को खारिज किया कि हॉकी और क्रिकेट के बाद भाला फेंक भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता का गवाह बनने वाला नया खेल बन गया है .

उन्होंने कहा ,ह्लभाला फेंकने में कोई दो टीमें नहीं हैं, लेकिन विभिन्न देशों के 12 एथलीट हैं जो एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. मैं 2016 से भाला फेंक में नदीम के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं और यह पहली बार है कि नदीम ने जीत हासिल की है.” नदीम के बारे में पूछने पर चोपड़ा ने कहा, ”वह (नदीम) एक अच्छा इंसान है, अच्छे तरीके से बोलता है, सम्मान करता है, इसलिए मुझे अच्छा लगता है.ह्व भाला फेंक में अपनी शुरुआत के बारे में उन्होंने कहा ,”वह एक अप्रत्याशित पल था, जब मैंने इसकी शुरुआत की. मुझे इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था. जब मैं मैदान पर गया, उस समय, यह निर्णय लिया.” यह पूछे जाने पर कि भाला फेंकने वाले को सबसे ज्यादा किस चीज की आवश्यकता होती है , चोपड़ा ने कहा कि ताकत, सहनशक्ति, मानसिक सहनशक्ति.

2011 में पहली बार भाला उठाने वाले चोपड़ा कहा , “यह इन सभी चीजों का संयोजन है, और कोई एक चीज काम नहीं करेगी, बल्कि इन सभी चीज.ों को मिलाकर, जिसके पास सबसे अच्छी तकनीक होगी वह अच्छा प्रदर्शन करेगा.ह्व पहले भी लखनऊ आ चुके चोपड़ा ने कहा, “मैं इससे पहले 2012 में खेलने के लिए लखनऊ आया था और तोक्यो ओलंपिक के बाद जब मुख्यमंत्री ने मुझसे आने के लिए कहा था. यह मेरा (लखनऊ का) तीसरा दौरा है.” 26 वर्षीय इस खिलाडी ने कहा ” पहले के लखनऊ और अब के लखनऊ में बहुत अंतर है. उस वक्त मैं काफी छोटा था और चीजें ज्यादा याद नहीं रहतीं, उस वक्त मैं ट्रेन से आया था और अब अच्छा एयरपोर्ट बन गया है, अच्छा मॉल बना है और यह पहली बार है कि मैं यात्रा करके शहर को इतना करीब से देख पा रहा हूं. मुझे बहुत अच्छा लगा.” चोपड़ा ने लखनऊ के लालबाग इलाके में एक प्रसिद्ध आउटलेट (‘शर्मा की चाय’) पर चाय भी पी और लोगों के साथ सेल्फी ली.

इस बीच, शर्मा चाय की दुकान के मालिक दीपक शर्मा ने रविवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि “नीरज चोपड़ा ने (चाय) दुकान पर करीब 15 मिनट बिताए. उन्होंने चाय, थोड़ा बन-मक्खन और थोड़ा समोसा खाया. जैसे ही उनके दुकान पर आने की खबर फैली, दुकान के बाहर भीड़ बढ़ गई. यहां तक कि दुकान के कर्मचारी भी उन्हें देखकर उत्साहित हो गए.” शर्मा ने कहा कि “उन्होंने (चोपड़ा) लोगों के साथ सेल्फी ली.” उन्होंने कहा कि उनका (चोपड़ा) दुकान पर अचानक आना हुआ और उन्हें 10-15 मिनट पहले ही इसकी सूचना दे दी गई थी.

चोपड़ा ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा, “युवाओं से मैं कहूंगा कि उन्हें शुरुआत में ही यह नहीं मान लेना चाहिए कि वे पदक जीत लेंगे. उन्हें धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि खेल में आपका काफी समय खर्च होता है. आपके शरीर को बढ़ने के लिए समय चाहिए, आपकी मांसपेशियां अच्छे तरीके से मजबूत होंगी, धैर्य रखें और अपनी तकनीक पर काम करें.”

Add a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use
Advertisement