मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को कहा कि निकट भविष्य में मुद्रास्फीति कम होने को लेकर भरोसा है और इससे आर्थिक वृद्धि और महंगाई के बीच बेहतर संतुलन होगा. इसी को ध्यान में रखकर केंद्रीय बैंक ने नीतिगत रुख बदलकर ‘तटस्थ’ करने का निर्णय किया. हालांकि, उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के लिए जोखिम बना हुआ है. इसमें वैश्विक स्तर पर जारी तनाव से जुड़े जोखिम शामिल हैं. ऐसे में अभी नीतिगत दर में कटौती के बारे में बात करना ‘उचित’ नहीं है.
उन्होंने मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ”हमने इस समय रुख बदल दिया है. इसका कारण वृद्धि और मुद्रास्फीति की स्थिति अच्छी है और दोनों के बीच एक तरह का संतुलन है. इसीलिए, एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने रुख में बदलाव के लिए इसे उपयुक्त समय माना.” दास ने कहा, ”हमें अब अधिक भरोसा है कि मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन हम अच्छी तरह से यह भी जानते हैं कि जोखिम भी बना हुआ है.” उन्होंने कहा कि रुख में बदलाव से मौद्रिक नीति समिति को भविष्य में दर को लेकर लचीलापन और विकल्प मिलेगा.
आरबीआई ने लगातार दसवीं बार नीतिगत दर को यथावत रखा है. हालांकि, रुख में बदलाव कर उसे तटस्थ किया. इससे आने वाले समय में नीतिगत दर में कमी की उम्मीद जगी है. आरबीआई गवर्नर ने कहा, ” अनिश्चितताओं और जोखिमों को कम करके नहीं आंका जा सकता. ऐसे में नीतिगत दर में कटौती के समय के संदर्भ में विशेष रूप से बात करना उचित नहीं होगा.” यह पूछे जाने पर कि क्या दिसंबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद है, डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा कि पूरा ध्यान मुद्रास्फीति में निकट अवधि में तेजी की आशंका पर केंद्रित है. आरबीआई का अनुमान है कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से अधिक रह सकती है.
पात्रा ने कहा कि आरबीआई ‘अगले कदम’ के बारे में सोचने से पहले मुद्रास्फीति पर निकट भविष्य में ध्यान केंद्रित करेगा.
केंद्रीय बैंक ने कच्चे तेल की कीमतों पर अपना अनुमान पहले के 85 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 80 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है. डिप्टी गवर्नर ने कहा कि तेल उत्पादक देशों ने 2025 तक उच्चस्तर पर आपूर्ति जारी रखने की प्रतिबद्धता जतायी है. दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने मांग कम रहने की बात कही है. इसको देखते हुए तेल कीमत के अनुमान को कम किया है.
दास ने चेताया, गलत तरीके अपनाकर आगे बढ़ने से बचें एनबीएफसी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें निवेशक कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को आक्रामक रूप से बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसके कारण अनुचित कारोबारी व्यवहार को बढ़ावा मिल रहा है.
गवर्नर दास ने खराब ग्राहक सेवा, संस्थाओं की अपनी वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ने और यहां तक ??कि इस तरह की गतिविधियों के कारण वित्तीय स्थिरता को संभावित नुकसान पहुंचने जैसे जोखिमों को रेखांकित करते हुए आगाह किया कि यदि वे इस तरह की गतिविधियां जारी रखते हैं तो आरबीआई दोषी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने में ”हिचकिचाएगा नहीं. ” दास ने स्पष्ट किया कि जोखिम प्रणालीगत स्तर पर नहीं है तथा आरबीआई ने कुछ ही संस्थाओं में ऐसा पाया है.
उन्होंने कहा, ” घरेलू और विदेशी दोनों स्रोतों से अपनी पूंजी में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण तथा कभी-कभी अपने निवेशकों के दबाव में आकर कुछ एनबीएफसी अपने शेयर पर अत्यधिक मुनाफे की तलाश में रहते हैं. इन एनबीएफसी में सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) और आवास वित्त कंपनियां (एचएफसी) शामिल हैं.” उन्होंने कहा कि ऐसी प्रवृत्तियों के कारण अनुचित रूप से उच्च प्रसंस्करण शुल्क और अनावश्यक दंड जैसी प्रथाएं बढ़ रही हैं.
दास ने कहा, ” यदि इन एनबीएफसी द्वारा इसका समाधान नहीं किया गया तो इसके परिणामस्वरूप उच्च लागत तथा अत्यधिक कर्ज वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं.” दास ने कहा, ” रिजर्व बैंक इन क्षेत्रों पर करीबी नजर रख रहा है और जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा.” उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक चाहता है कि एनबीएफसी स्वयं इसमें सुधार करें.
डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने कहा कि यह कड़ा संदेश चुनिंदा गड़बड़ी करने वाली एनबीएफसी तथा उन क्षेत्रों को लक्षित है जहां कार्यप्रणाली संदिग्ध है.