Tuesday, December 16, 2025
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लोकसभा शून्यकाल में सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने

डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी से निपटने के लिए AI-इनेबल्ड “बैंकिंग फ्रिक्शन” लागू हो : बृजमोहन अग्रवाल

सुप्रीम कोर्ट ने घोटालों से ₹3,000 करोड़ के नुकसान पर चिंता जताई अग्रवाल ने जीवन भर की कमाई को बचाने के लिए सिंगापुर-स्टाइन कूलिंग ऑफ पीरियड और एस्क्रो मैकेनिज्म का प्रस्ताव दिया

रायपुर/नई दिल्ली । CG NEWS: रायपुर सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने गुरुवार को लोकसभा में शून्य काल के दौरान “डिजिटल अरेस्ट फाइनेंशियल फ्रॉड” में तेजी से ही रही बढ़ोतरी को लेकर एक गंभीर चिंता जताई।

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नागरिकों की फाइनेंशियल सिक्योरिटी, खासकर बुजुर्गों की फाइनेंशियात सिक्योरिटी को हो रहे नुकसान का हवाला देते हुए अग्रवाल ने औपचारिक रूप से वित्त मंत्री  निर्मला सीतारमण से भारतीय बैंकिंग सिस्टम में AI-आधारित “सेफ्टी होल्ड गाइडलाइंस और एस्को मैकेनिज्म लागू करने का अनुरोध किया।

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अग्रवाल ने बताया कि “डिजिटल गिरफ़्तारी” स्कैम अब जटिल मनोवैज्ञानिक अपराध बन गए है, जहाँ अपराधी वीडियो कॉल के जरिए CBI या पुलिस अधिकारी बनकर पीड़ितों को कई दिनों तक “डिजिटल निगरानी में रखते हैं। झूठी जेल की धमकियों से मजबूर होकर, पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक रूप से इस तरह हेरफेर किया जाता है कि वे अपनी पूरी जिंदगी की जमा-पूंजी खत्म कर देते हैं।

इस दखल की जरूरत एक हालिया, चौंकाने वाली घटना से साफ होती है, जिसमें एक महिला पीड़ित ने सितंबर 2024 और मार्च 2025 के बीच लगभग ₹32 करोड़ गंवा दिए।

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बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ऐसी घटनाएं सिर्फ चोरी नहीं है, बल्कि डिजिटल बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की नाक के नीचे हो रहे “पूंजी और मानसिक स्वास्थ्य का बहुत बड़ा नुकसान है।

अग्रवाल ने सोशल मीडिया X पर कहा, “हम इन फ्रॉड्स में खतरनाक बढ़ोतरी देख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने डीजिटल अरेस्ट को एक बड़ी चुनौती बताया है, यह देखते हुए कि पीड़ितों जिनमें ज्यादातर सीनियर सिटिजन हैं ने अकेले भारत में ₹3,000 करोड़ से ज्यादा गंवा दिए हैं। जब कोई पीड़ित दबाव में आकर मिनटों में अपनी जिंदगी भर की कमाई का 80% या 90% ट्रांसफर कर देता है, तो हमारा मौजूदा बैंकिंग सिस्टम इसे एक स्टैंडर्ड ट्रांजैक्शन के तौर पर प्रोसेस करता है। इसमें बदलाव होना चाहिए।”

इंटरनेशनल सेफ्टी स्टैंडर्डस से तुलना करते हुए, बृजमोहन अग्रवाल ने मॉनेटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर (MAS) और सिंगापुर के बैंकों का उदाहरण दिया, जिन्होंने हाई-रिस्क ट्रांसफर को रोकने के लिए “मनी लॉक फीचर्स को सफलतापूर्वक लागू किया है। इसी तरह की AI-ड्रिवन गाइडलाइंस अपनाकर, भारतीय बैंक एक जरूरी बफर बना सकते हैं जो ट्रांजैक्शन की स्पीड के बजाय जमाकर्ता की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।

अग्रवाल ने आखिर में कहा, ” मैं वित्त मंत्री से अनुरोध करता हूं कि, वे इन गाइडलाइंस को तुरंत जारी करें। हमें एक ‘सेफ्टी होल्ड मैकेनिज्म अपनाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे नागरिकों की मेहनत की कमाई एक पल की घबराहट में खत्म न हो जाए।”

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