भारतीय टीम के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा टेस्ट क्रिकेट में दिन-प्रतिदिन नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। बांग्लादेश के खिलाफ जारी दो मैचों की टेस्ट सीरीज में उन्होंने बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। वह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसा करने वाले इतिहास के पहले खिलाड़ी बन गए हैं।
चेन्नई में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत ने 280 रनों से बांग्लादेश को मात दी थी। इस दौरान जडेजा ने पहली पारी में दो और दूसरी पारी में तीन विकेट हासिल किए थे। अब उनके नाम एक ऐसा रिकॉर्ड दर्ज हो गया है जो 147 साल के इतिहास में कोई नहीं कर सका। भारतीय दिग्गज टेस्ट मैच में जीत के लिए 2000 से अधिक रन बनाने और 200 से ज्यादा विकेट चटकाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए। जडेजा के बाद अश्विन भी इस उपलब्धि को हासिल कर सकते हैं। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में जीत के लिए 1943 रन बनाए और 369 विकेट चटकाए हैं।
कानपुर में बड़े रिकॉर्ड पर जडेजा की नजर
कानपुर टेस्ट में 35 वर्षीय ऑलराउंडर की नजर एक बड़े रिकॉर्ड पर होगी। एक विकेट लेते ही वह टेस्ट क्रिकेट में 300 विकेट पूरे कर लेंगे। इसी के साथ वह कपिल देव, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, जहीर खान, रविचंद्रन अश्विन और इशांत शर्मा के बाद ऐसा करने वाले सातवें गेंदबाज बन जाएंगे।
ऐसा करने वाले भारत के तीसरे खिलाड़ी बनेंगे जडेजा
35 वर्षीय ऑलराउंडर की नजर एक अन्य रिकॉर्ड पर है। आगामी मैच में एक विकेट लेते ही उनके नाम 300 टेस्ट विकेट तो दर्ज होंगे ही, इसके अलावा वह इस प्रारूप में 300 विकेट और 3000 रन पूरे करने वाले 11वें खिलाड़ी बन जाएंगे। वहीं, ऐसा करने वाले वह भारत के तीसरे खिलाड़ी होंगे। जडेजा से पहले भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव (434 विकेट और 5248 रन) और दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (522 विकेट और 3422 रन) यह कारनामा कर चुके हैं।
कानपुर में अब तक नहीं मिला मौका
भारत की टी20 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे जडेजा को कानपुर टेस्ट में अब तक गेंदबाजी का मौका नहीं मिला है। भारत ने इस मुकाबले का टॉस जीतकर बांग्लादेश को बल्लेबाजी का न्योता दिया। बारिश से प्रभावित रहे पहले दिन के खेल में कप्तान ने बुमराह, सिराज, अश्विन और आकाश दीप को गेंदबाजी का मौका दिया। हालांकि, जडेजा ने अब तक एक भी ओवर नहीं फेंका है। कानपुर में बारिश के कारण दूसरे दिन का खेल एक भी गेंद फेंके बिना रद्द हो गया। फिलहाल मेहमानों का स्कोर 107/3 है। वहीं, क्रीज पर मोमिनुल हक (40*) और मुशफिकुर रहीम (6*) डटे हुए हैं।